गढ़ गयो खंभ हमारो भजन लिरिक्स हिंदी GAdh gayo khambh humaro lYRICS
गढ़ गयो खंभ हमारो दरअसल रामायण सीरियल का वेह गाना हे जहां पर भगवान् राम की तरफ से अंगद जी
शान्तिदूत बनके जाते हैं और रावण से कहते हैं की सीता माता को सकुशल लोटा दो और श्री राम जी के शरण में जा कर अपने पापों का प्रायश्चित कर लो पर रावन उनपर क्रोध कर करके उन्हें मारने का आदेश देता हे
तभी अंगद जी कहते हैं की मुझे मारना तो दूर मैं अपना एक पैर यहाँ धरती पे जमाता हूँ
अगर आपका कोई भी योधा मेरे पाओं को धरती से हटा देगा तो मैं अपने स्वामी की तरफ से हमारी हार मान लूँगा और ह्म सब यहाँ से लौट जायेंगे
और बस उसीके बाद एक एक योधा आकर उनके पेरो को उठाने का प्रयास करते हैं पर उठा नहीं पाते और फिर रावन आता हे तो अंगद खुद अपना पैर उठाकर कहते हैं की मूर्ख मेरे पैर मत पकड़ श्री राम के पैर पकड़ क्यूंकि मेरे चुनोती तेरे योध्याओं को थी तुझको नहीं तुझको तो अभी भी मई यहीं कहूँगा श्री राम के पास जा और अपने पापों की छमा मांग
गढ़ गयो खंभ हमारो भजन लिरिक्स
गढ़ गयो खंभ हमारो ल रविन्द्र जैन जी की मधुर आवाज मैं गया और उन्ही का कंपोज़ किया हुआ एक बहुत प्यारा गीत हे
निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवा
गढ़ गयो खंभ हमारो भजन लिरिक्स
दोहा - समुझी प्रताप राम कपी कोपा ,सभा माझ पन करी पद रोपाजो मम चरण सकसी सठ ठारी, फिरहिं राम सीता मैं अहारीगढ़ गयो खंभ हमारोहिम्मत होए तो याहे उखारोअंगद बीच सभा में ठा रो बोले राम जी की जयअंगद बीच सभा में ठा रो बोले राम जी की जयएक एक ज्योधा आवे अपनी सारी शक्ति लागावेपग नहीं डिगे वीर मुसकावे रे बोले राम जी की जयपग नहीं डिगे वीर मुसकावे बोले राम जी की जयइन्द्रजीत अधिक बलवानाहर्शी उठे जेहि तेहि भट्ट नानासत नहीं डोले जेसे सतवंती नारी कोमन नहीं डिगे जेसे साधू ब्रहमचारी कोअटल विस्वास जेसे प्रभु के पुजारी कोपग हे अटल यूं अंगद बलधारी कोसभा अचंभित सारीऐसो नहीं देखो प्रन्धारी या को राम भरोशो भारीया को राम भरोशो भारीबोले राम जी की जयबोले राम जी की जय
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gadh gayo khambh humaro bahut hi sundar ramaayn geet he ravindra jain ji ka compose kiya hua aur unhi ka gaay hua jisme angad ravan ke yodhyaoon ko apne per hatane ki chunoti dete hain aur sabhi yodha isme asafal ho jaate hian
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DOHA -samujhi pratap ram kapi kopa,sabha maajh pan kari pad ropajo mam charan sakasi sath taaree ,phirahi raam sita main haariGadh gayo khambh humarohimmat hoye to yho ukharoangad beech sabha me tharobole ram ji ki jaiek ek jyodha aaveapni saari sakti lagavepag nahin dige veer muskaave re bole ramji ki jaipag nahin dige veer muskaave bole ramji ki jaiindrajeet aadhik balwaanahareshi uthe jehi tehi bhatt nanasat nahin dole jese satwanti naari komann nahin dige jese saadhoo brahamchari koatal viswaas jese prabhu ke pujari kopag he atal yoon angad baldhari kosabha achambhit saari (2)aiso nahin dekho prandhaariyaako raam bharoso bhaaribole ram ji ki jaibole ram ji ki jaibole ram ji ki jaibole ram ji ki jai
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